ऑस्ट्रेलिया में है बैन
एफएसएएनजेड ने एक बयान में कहा कि हम इस इश्यू को समझने के लिए इंटनेशनल फूड इंफोर्समेंट एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. ताकि यह तय किया जा सके कि ऑस्ट्रेलिया में आगे किसी तरह की कार्रवाई की जरुरत है या नहीं. एजेंसी ने कहा कि एथिलीन ऑक्साइड को ऑस्ट्रेलिया में बेचे जाने वाले फूड प्रोडक्ट्स में यूज करने की परमीशन नहीं है. अगर किसी प्रोडक्ट में इसका यूज पाया जाता है तो उसे वापस भेज दिया जाता है. भारत में प्रमुख मसाला ब्रांड एमडीएच और एवरेस्ट दोनों की यूरोप, एशिया और उत्तरी अमेरिका में काफी मजबूत स्थिति है. संयुक्त राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) भी इस मामले की जांच कर रहा है, जबकि भारतीय अधिकारियों ने हाल ही में एमडीएच और एवरेस्ट दोनों की प्रोडक्शन यूनिट का इंस्पैक्शन भी किया है.
एक्शन में आया मसाला बोर्ड
वहीं दूसरी ओर भारत सरकार ने भी इस मामले को काफी सीरियस लेना शुरू कर दिया है. विदेशों से आ रही शिकायत के बाद देश का मसाला बोर्ड एक्शन में आ गया है. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंडर में काम करने वाले इस बोर्ड ने बुधवार को कहा कि सिंगापुर और हॉन्गकॉन्ग को भेजे गए कंसाइनमेंट जांच की जाएगी. बोर्ड सिंगापुर और हॉन्ग कॉन्ग में मौजूद भारतीय दूतावासों के कांटैक्ट में है और ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाने में लगा है. बोर्ड साथ ही उन कंपनियों के साथ काम कर रहा है जिनकी खेप को वापस मंगाया गया है. भारत के मसाले पूरी दुनिया में काफी मशहूर हैं.
भारत के मसाले पूरी दुनिया में मशहूर हैं. लेकिन बीते कुछ दिनों से इन्हीं मसालों को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. पहले सिंगापुर और हॉन्गकॉन्ग में एमडीएच और एवरेस्ट के मसालों पर कीटनाशन होने के आरोप लगे. अब इसकी जांच की आंच ऑस्ट्रेलिया तक पहुंच गई है. आइए आपको भी देते हैं पूरी जानकारी.
भारत की मसाला कंपनियों की मुश्किलें कम होने को नाम नहीं ले रही हैं. सिंगापुर और हॉन्गकॉन्ग के बाद अब ऑस्ट्रेलिया ने भी मसालों में कीटनाशक पाए जाने के आरोपों की जांच करनी शुरू कर दी है. जानकारी के अनुसार फूड स्टैंडर्ड्स ऑस्ट्रेलिया न्यूजीलैंड (एफएसएएनजेड) ने मंगलवार को घोषणा की कि वह भारतीय कंपनियों एमडीएच और एवरेस्ट के मसालों को लेकर जो आरोप लगे हैं उनकी जांज कर रहा है. अगर जांच में आरोप सही पाए जाते हैं तो कंपनियों को ऑस्ट्रेलिया से अपने प्रोडक्ट्स को वापस मंगाना पड़ सकता है. इससे पहले हॉन्गकॉन्ग और सिंगापुर में भी इसी तरह की कार्रवाई हो चुकी है. दूसरी ओर अमेरिका ने भी दोनों कंपनियों को वॉच लिस्ट में डाल दिया है. दोनों देशों की ओर से दावा किया गया था कि दोनों कंपनियों के मसालों में एथिलीन ऑक्साइड का लेवल सामान्य से ज्यादा है. जिससे कैंसर जैसी बीमारी होने का खतरा है.
दरअसल, कथित तौर पर कैंसर पैदा करने वाले पेस्टिसाइड्स का इस्तेमाल किए जाने के आरोपों के चलते सिंगापुर और हांगकांग में एमडीएच (MDH) और एवरेस्ट (Everest) मसालों के कुछ प्रोडक्ट्स की सेल पर रोक लगाए जाने के बाद अब इन्हें लेकर अमेरिका में भी इन्हें लेकर अलर्ट जारी कर दिया गया है.
भारत के दो बड़े मसाला ब्रांड्स इन दिनों चर्चा में हैं. दरअसल, कथित तौर पर कैंसर पैदा करने वाले पेस्टिसाइड्स का इस्तेमाल किए जाने के आरोपों के चलतेसिंगापुर और हांगकांग में एमडीएच (MDH) और एवरेस्ट (Everest) मसालों के कुछ प्रोडक्ट्स की सेल पर रोक लगाए जाने के बाद अब इन्हें लेकर अमेरिका में भी इन्हेमें भी इन्हें लेकर अलर्ट जारी कर दिया गया है. हालांकि, दोनों ही भारतीय कंपनियों की ओर से साफतौर पर इन आरोंपों को निराधार करार दिया गया है
आखिर क्यों हांगकांग-सिंगापुर में बिक्री पर रोक?
गौरतलब है कि पहले हांगकांग में MDH के मद्रास करी पाउडर, सांभर मसाला पाउडर और करी पाउडर पर खतरनाक कीटनाशकों के इस्तेमाल की बात कहते हुए बिक्री पर रोक लगाई गई थी, इसके बाद Everest Brand के एक प्रोडक्ट की सेल भी रोक दी गई थी. इनमें एग्रीकल्चर प्रोडक्ट्स में कीटनाशक के तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले एथिलीन ऑक्साइड को मिलाने की बात कही गई थी, जिससे कैंसर का खतरा होता है.
अमेरिका की FDA ने भी शुरू की जांच
हांगकांग और सिंगापुर के बाद अब अमेरिका भी इन मसाला ब्रांड्स को लेकर अलर्ट मोड में आ गया है. यही नहीं मालद्वीव ने भीइन मासालों की बिक्री पर रोक लगा दी है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने MDH और Everest मसालों में इस तरह के कीटनाशक के इस्तेमाल का पता लगाने के लिए अपनी जांच शुरू कर दी है. रिपोर्ट में एफडीए प्रवक्ता के हवाले से कहा गया है कि इन मासलों में केमिकल के इस्तेइस्तेमाल की रिपोर्ट्स के बाद वह मामले में जानकारी जुटा रहे हैं
MDH ने कहा- ये आरोप निराधार
एक ओर जहां एक के बाद एक देशों में इन दो भारतीय मसाला ब्रांड्स की मुश्किलें बढ़ रही हैं, तो वहीं इस तरह के आरोपों को एमडीएचऔर एवेरेस्ट की ओर से निराधार करार दिया गया है. MDH एमडीएच ने अपने प्रोडक्ट्स में कैंसर पैदा करने वाले केमिकल के इस्तेमाल के आरोपों को खारिज करतेकहा है कि ये दावे पूरी तरह से निराधार-झूठे हैं और इनका कोई ठोस सबूत नहीं है.
इससे पहले Everest की ओर से कहा गया था कि उसके मसाले सुरक्षित हैं और इनका का निर्यात भारत के मसाला बोर्ड की लैब्स से जरूरी मंजूरी और अनुमोदन मिलमने केबाद ही किया जाता है
सिंगापुर, हांगकांग और मालदीव की ओर से एमडीएच और एवरेस्ट मसालों पर लगाए गए प्रतिबंध के बाद अब ऑस्ट्रेलिया सरकार ने इन पर शिकंजा कस दिया है. वहां की खाद्य सुरक्षा एजेंसी इन भारतीय मसालों की जांच पर विचार कर रही है. एजेंसी ने मंगलवार को कहा कि वह इन दोनों कंपनियों के बेचे गए कुछ मसालों में किए गए मिलावटों के आरोपों की छानबीन कर रही है. जिससे यह साफ हो सके कि क्या मसालों को वापस किया जाएगा या नहीं.
फूड स्टैंडर्ड्स ऑस्ट्रेलिया न्यूजीलैंड ने एक एजेंसी को दिए इंटरव्यू में कहा कि हम इस मुद्दे को समझने के लिए अंतरराष्ट्रीय काउंटरपार्ट्स के साथ और संघीय, राज्य और क्षेत्रीय खाद्य प्रवर्तन एजेंसियों के साथ काम कर रहे हैं. इसी के आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी. एजेंसी ने कहा कि एथिलीन ऑक्साइड को ऑस्ट्रेलिया में बेचे जाने वाले खाद्य पदार्थों के रूप में उपयोग करने की अनुमति नहीं है. मसलों में मिलावट मिलने पर मसालों को वापस किया जा सकता है. बता दें सिंगापुर ने एवरेस्ट मसालों को वापस लेने का आदेश दिया था, जबकि हांगकांग ने तीन एमडीएच मसाला मिश्रणों की बिक्री पर रोक लगा दी थी
भारत सरकार ने मांगा विवरण
भारतीय मसाला ब्रांडों की ओर से निर्यात किए जाने वाले कुछ मसालों पर लगे प्रतिबंध के बाद भारत सरकार ने हांगकांग और सिंगापुर के खाद्य सुरक्षा नियामकों से विवरण मांगा है. सरकार ने एमडीएच और एवरेस्ट कंपनियों से भी ब्योरा मांगा है. बता दें एमडीएच और एवरेस्ट मसालों में स्वीकार्य सीमा से अधिक कीटनाशक ‘एथिलीन ऑक्साइड’ की मौजूदगी के कारण इन पर रोग लगाया गया है. विदेशी सरकारों के अनुसार ये इंसानों की सेहत के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है.
मालदीव ने भी की कार्रवाई
मालदीव ने भी एवरेस्ट और एमडीएच से मसालों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिसमें कहा गया है कि मसालों में पाए जाने वाले ‘एथिलीन ऑक्साइड’ का उपयोग कृषि उत्पादों को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है. इसका स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.